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तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा


तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा

मिरा नसीब अज़ल में ही रह गया होगा


है अहरमन से न मालूम क्यूँ ख़फ़ा यज़्दाँ

ग़रीब कोई खरी बात कह गया होगा


हम और लोग हैं हम से बहुत ग़ुरूर न कर

कलीम था जो तिरा नाज़ सह गया होगा


क़रीब-ए-का'बा पहुँच कर 'अदम' को मत ढूँडो

वो हीला-जू कहीं रस्ते में रह गया होगा

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